आदर्श के लिए जियो -
जो किसी बात की चिन्ता नहीं करता, उसके पास सब कुछ आप ही आप पहुंच जाता है। धन-सम्पत्ति तो चंचल नारी के समान है, वह उसकी परवाह नहीं करती जो उसे बहुत चाहता है। धन अपनी वर्षा उसके निकट आकर कर जाता है, जिसने उसकी परवाह कभी नहीं की, इसी प्रकार लोक-प्रसिद्धि भी इतनी अधिक मात्रा में आती है कि वह सिरदर्द और भार बन जाती है ये सब सदा स्वामी के पास जाते हैं। उनका दास कभी कुछ नहीं पाता।
स्वामी वही है जो उनके बिना भी रह सके, जिसका जीवन संसार की क्षुद्र एवं मूर्खतापूर्ण चीजों पर निर्भर नहीं करता। एक, और केवल एक आदर्श के लिए जियो। उस आदर्श को इतना महान, इतना शक्तिशाली बनाओ कि उसके अतिरिक्त अन्य कुछ अन्त:करण में रह ही न जाए। किसी अन्य वस्तु के लिए स्थान नहीं, किसी अन्य बात के लिए समय नहीं।

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